Madhubani Best Painting on Cloth | 2022
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Madhubani Best Painting on Cloth
Madhubani painting on cloth
Radha Krishna
Madhubani Best Painting on Cloth
मधुबनी चित्रकला अथवा मिथिला पेंटिंग मिथिला क्षेत्र जैसे बिहार के दरभंगा, पूर्णिया, सहरसा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी एवं नेपाल के कुछ क्षेत्रों की प्रमुख चित्रकला है। प्रारम्भ में रंगोली के रूप में रहने के बाद यह कला धीरे-धीरे आधुनिक रूप में कपड़ो, दीवारों एवं कागज पर उतर आई है। मिथिला की औरतों द्वारा शुरू की गई इस घरेलू चित्रकला को पुरुषों ने भी अपना लिया है। वर्तमान में मिथिला पेंटिंग के कलाकारों ने अंतरराष्ट्रीय स्तरMadhubani Best Painting on Cloth पर मधुबनी व मिथिला पेंटिंग के सम्मान को और बढ़ाये जाने को लेकर तकरीबन 10,000 sq/ft में मधुबनी रेलवे स्टेशन के दीवारों को मिथिला पेंटिंग की कलाकृतियों से सरोबार किया। उनकी ये पहल निःशुल्क अर्थात् श्रमदान के रूप में किया गया। श्रमदान स्वरूप किये गए इस अदभुत कलाकृतियों को विदेशी पर्यटकों व सैनानियों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है
माना जाता है ये चित्र राजा जनक ने राम-सीता के विवाह के दौरान महिला कलाकारों से Madhubani Best Painting on Cloth बनवाए थे। मिथिला क्षेत्र के कई गांवों की महिलाएँ इस कला में दक्ष हैं। अपने असली रूप में तो ये पेंटिंग गांवों की मिट्टी से लीपी गई झोपड़ियों में देखने को मिलती थी, लेकिन इसे अब कपड़े या फिर पेपर के कैनवास पर खूब बनाया जाता है। समय के साथ साथ चित्रकार कि इस विधा में पासवान जाति के समुदाय के लोगों द्वारा राजा शैलेश के जीवन वृतान्त का चित्रण भी किया जाने लगा। इस समुदाय के लोग राजा सैलेश को अपने देवता के रूप में पूजते भी हैं।
इस चित्र में खासतौर पर कुल देवता का भी चित्रण होता है। हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीर, प्राकृतिक नजारे जैसे- सूर्य व चंद्रमा, धार्मिक पेड़-पौधे जैसे- तुलसी और विवाह के दृश्य देखने को मिलेंगे। मधुबनी पेंटिंग दो तरह की होतीं हैं- भित्ति चित्र और अरिपन या अल्पना।
चटख रंगों का इस्तेमाल खूब किया जाता है। जैसे गहरा लाल रंग, हरा, नीला और काला। कुछ हल्के रंगों से भी चित्र में निखार लाया जाता है, जैसे- पीला, गुलाबी और नींबू रंग। यह जानकर हैरानी होगी की इन रंगों को घरेलू चीजों से ही बनाया जाता है, जैसे- हल्दी, केले के पत्ते, लाल रंग के लिऐ पीपल की छाल प्रयोग किया जाता है। और दूध। भित्ति चित्रों के अलावा अल्पना का भी बिहार में काफी चलन है। इसे बैठक या फिर दरवाजे के बाहर बनाया जाता है। पहले इसे इसलिए बनाया जाता था ताकि खेतों में फसल की पैदावार अच्छी हो लेकिन आजकल इसे घर के शुभ कामों में बनाया जाता है। चित्र बनाने के लिए माचिस की तीली व बाँस की कलम को प्रयोग में लाया जाता है। रंग की पकड़ बनाने के लिए बबूल के वृक्ष की गोंद को मिलाया जाता है।
समय के साथ मधुबनी चित्र को बनाने के पीछे के मायने भी बदल चुके हैं, लेकिन ये Madhubani Best Painting on Cloth अपने आप में इतना कुछ समेटे हुए हैं कि यह आज भी कला के कद्रदानों की चुनिन्दा पसंद में से है।
Madhubani Best Painting on Cloth से पूर्व हस्त नर्मित कागज को तैयार करने के लिऐ कागज पर गाय के गोबर का घोल बनाकर तथा इसमें बबूल का गोंद डाला जाता है। सूती कपड़े से गोबर के घोल को कागज पर लगाया जाता है और धूप में सुखाने के लिए रख दिया जाता है।
Madhubani Best Painting on Clothचित्र में मिट्टी (चिकनी) व गाय के गोबर के मिश्रण में बबूल की गोंद मिलाकर दीवारों पर लिपाई की जाती है। गाय के गोबर में एक खास तरह का रसायन पदार्थ होने के कारण दीवार पर विशेष चमक आ जाती है। इसे घर की तीन खास जगहों पर ही बनाने की परंपरा है, जैसे- पूजास्थान, कोहबर कक्ष (विवाहितों के कमरे में) और शादी या किसी खास उत्सव पर घर की बाहरी दीवारों पर।
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